(Rampal ye 7 Nam deta h...
1 सत सुकृत अविगत कबीर
2 ॐ ॐ ॐ ॐ
3 हरियम हरियम हरियम हरियम
4 श्रीयम श्रीयम श्रीयम श्रीयम
5 किलियम किलियम किलियम किलियम
6 सोहम सोहम सोहम सोहम
7 सत्यम सत्यम सत्यम सत्यम)
सावधान !!!
राधास्वामी पंथ में
पाँच नाम मन्त्र देते हैं -
ज्योति निरंजन, ओंकार,
रंरंकार, सोहं और
सतनाम |
इसी पंथ की शाखा धन-
धन सतगुरू-
सच्चा सौदा सिरसा वाले
अब तीन नाम मन्त्र
1. सतपुरूष
2. अकाल मूर्ति
3. शब्द स्वरूपी राम
तथा जगमालवाली वाले
‘‘धन-धन सतगुरू
तेरा ही आसरा’’ एक
नाम मन्त्र देते हैं, पहले
पांच नाम मन्त्र
ही दान किए जाते थे।
दिनोंद
(जिला भिवानी)
हरियाणा में
श्री ताराचन्द
जी वाले पंथ एक
‘‘राधा स्वामी’’ नाम
का मन्त्र देते हैँ
इसी को सारनाम
बताते हैँ |
श्री आसाराम बापू
(अहमदाबाद वाले) सोहं
मन्त्र को दो भागों में
स्मरण करने को कहते हैँ
तथा कई अन्य मन्त्र
भी देते हैँ। जिन में से
रूची अनुसार साधक
को स्वयं
चुनना होता है।
1. गायत्री मन्त्र (ओम्
भूर्भुवः ------)
2. ओम् नमः शिवाय
3. ओम् नमः भगवते
वासुदेवाय
4.------ इत्यादि अनेक
नाम मन्त्र दिए जाते है
|
श्री सुधांशु
जी (बकरवाला दिल्ली वाले)
हरि ओम्-तत्-सत्
का जाप मन्त्र देते हैँ।
श्री शिव भगवान
को अजन्मा-अजर-अमर
अर्थात् मृत्युंज्य
तथा सर्वेश्वर
आदि बताते हैं । जब
कि श्री देवी महापुराण
तथा शिव महापुराण में
श्री शिव का जन्म मृत्यु
लिखा है ।
“निरंकारी” पंथ वाले
एक नाम मंत्र
“ तू ही एक निरंकार। मैं
तेरी शरण मुझे बख्स लो”
देते हैं
तथा परमात्मा को निराकार
बताते हैं।
जबकि परमात्मा सशरीर
है।
उपरोक्त मन्त्र शास्त्र
विरूद्ध होने से मोक्ष
दायक नहीं हैं।
‘‘हंसा देश
पंथ’’ (श्री सतपाल
जी महाराज
पंजाबी बाग
दिल्ली वाले
तथा श्री प्रेम रावत
उर्फ बालयोगेश्वर
जी महरौली दिल्ली वाले)
“हंस” का जाप
दो हिस्से करके जाप
करने को देते हैं।
इसको उल्टा करके सहं
करके सोहं
को भी दो हिस्से करके
जाप करने को देते है
तथा आँख बन्द करके हठ
योग क्रियाऐं देते हैं
जो शास्त्रविरूद्ध हैं
मोक्ष दायक नहीं हैं।
भावार्थ है कि ओम्-तत्
(सांकेतिक) तथा सत्
(सांकेतिक) के अतिरिक्त
सर्व साधना शास्त्र
विरूद्ध अर्थात्
मनमाना आचरण (पूजा)
है। जो पवित्र
गीता अध्याय 16 श्लोक
(मन्त्र) 23 में व्यर्थ
कहा है तथा (श्लोक)
मन्त्र 24 में कहा है
कि परमात्मा की भक्ति के
लिए शास्त्रों(वेदों)
को ही आधार मानें।
इनके (गीता , वेदोँ )
अलावा की गई
साधना शास्त्र विरूद्ध
है, मोक्ष दायक नहीं है।
साभार :: - जगतगुरु
तत्वदर्शी संत रामपाल
जी महाराज जी
_/\_
जय बंदीछोड़ की
सत साहेब
बस......
धुन और स्वरूप भी खोल देते !
शब्द बिना सुति नैनहिन, कहाँ किधर वो जाए | द्वार न पावे शब्द का, यहाँ वहाँ धक्के खाए || गुरू गुरू में भेद है, भिन्न भिन्न है स्वभाव | गुरू सदा ऐसा मानो जो, जाने शब्द प्रभाव || शब्द शब्द भिन्न होते हैं, सार शब्द समझ लीजिए | कहे कबीर बिन सार शब्द, जीवन व्यर्थ नहीं कीजिए || बन्दगी करूँ विवेक की, भेष धरे हर कोई | वहाँ बन्दगी व्यर्थ है, जहाँ शब्द विवेक न होई || मानुष देही पाय के, चुका जो इस बार | जाए पडा भवचक्र में, वो होगा कभी न पार ||
मानव का उधार इसी मे है की वे अपने गुरु पर अटुट विश्वास करे नाम ही गुरु मंत्र है जय हो महा शक्तीओ की
sabad ko guru kijiye sabad milave rupako ( saheb bandgi saheb)
अबे अक्ल के धन्नो हमारे कर्मों के हिसाब से हमे मोक्ष या कोई और गति मिलती है हमारे कर्म सही नहीं है तो सृष्टि कर्ता खुद भी धरती पर आ जाय तो हमारी मुक्ति नहीं कर सकता फिर ये रामपाल क्या चीज़ है मूर्ख बनाने के लिए हिन्दू ही तो मिलता है किसी और धर्म मैं बाबा लोग कियो नहीं परमात्मा बनते रामपाल से कहो इतना बड़ा तारणहार है तो जाकर 10 20 mullo को शिष्य बना कर दिखा दे
ReplyDeleteRight
Deleteबेवकूफ तो तू है पाखंडी आदमी जो संत रामपाल जी महाराज जी को गलत बताता है
Deleteमें गया था एक बार वहा यर 10.20 मुल्ले तो नहीं थे
Deleteहजारों शे भी ज्यादा मुलमान थे और वहां कुछ विदेशी लोग भी थै यॉर इतने लोग तो पागल नहीं हो सकते वहा कुछ ना कुछ तो हैं आपको भी जाना चाहिए..एक बार
बेवकूफ़ तो रामपाल तुम्हें बना रहा है
ReplyDeleteSahi kha ye rampalji btata h ki Bhagawan nirakar h jabki Supreme LordKrsna BG k 7.25me kehte h ki wo nirakar nhi.. . 🔸Harekrsna🔸
ReplyDeleteआपको रामपालजी द्वारा दिए गए प्रथम मन्त्र का इस तरिके से दुरुपयोग नहि करना चाहिए था । कृपया सबकी भलाईके लिए इसे हटाएँ । 🙏
ReplyDeleteKya..ye vakai me partham manter h...🙏
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Delete20 nhi hazaro musalman inke shisye hai youtube par dekh
ReplyDeleteRampal aaj kaha hai wo dekh 😂
ReplyDeleteगुरु किसी भी परिस्थिति मे हो पर भगत की फौज तो बङती जा रही है सत साहीब🙏
ReplyDeleteरामपाल जी महाराज पूर्ण गुरु है.. मुर्ख
ReplyDeleteरामपालजी महाराज
ReplyDeleteकाल को दोष मत देना,हर किसी को बिघाडने या सुधरने वाला अपना अपना मन और उसके तहत उसकी बुद्धि होती है।
यदि कोई भक्त बुरी आदत मे है तो कबीर भगवान भी उनको बचा नाही सकते। फिर काल को दोष क़्युं?
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ReplyDeleteदीक्षा मन्त्र जो भी हो ,गुरु की सम्मति बिना कृपया इसे सार्वजनिक करना नाही,कृपया इसे यहासे निकालो ,यही बेहतर है
ReplyDeleteBahut sunder paryas kiya h aapne.thanks sir
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