Press question mark to see available shortcut keys 11 Naveen Hangout Public Jul 19, 2016 प्रश्न :- - शरीर को क्षीण करने वाले अष्ट मैथुन कौन कौन से हैं ? उत्तर :- - शारीरिक और मानसिक क्षीणता करने वाले ये अष्ट मैथुन हैं - - - (1) स्त्री का ध्यान करना , स्त्री के बारे में सोचते रहना कल्पना करते रहना । (2 ) कोई श्रृंगारिक , कामुक कथा का पढ़ना , सुनना । (3 ) अंगों का स्पर्श , स्त्री पुरुषों के द्वारा एक दूसरे के अंगों का स्पर्श करना । (4 ) श्रृंगारिक क्रीडाएँ करना । (5 ) आलिंगन करना । (6 ) दर्शन अर्थात नग्न चित्र या चलचित्र का दर्शन करना । (7 ) एकांतवास अर्थात अकेले में पड़े रहना । (8 ) समागम करना अर्थात यौन सम्बन्ध स्थापित करना । जो इन सभी मैथुनों को त्याग देता है वही ब्रह्मचारी है । Translate one plus one 1 2 comments 2 3 shares 3 Shared publicly•View activity Ashok Sharma Khhuhggh 19w Ashok Sachde एकदम सही बात। जो बात ईश्वर के ८४ लाख यौनियों मे कीसी भी जीव को सीखने की गरज नहीं वह बात "एक मनुष्य जीव योनिमें दूसरे मनुष्य जीव को बार बार बताते रहते है ऐसे क्यों करते हैं ? एक मनुष्य जीव दूसरे मनुष्य जीव के साथ ! जब के देखा जाएं तो दोनों स्त्री पुरूष इन्सान ही है। इन्सान शब्द लिंग भेद नहीं करता और लिंग शब्द का अर्थ है गति करवाना अर्थात ईश्वर अंश जीव की गति एक योनिद्वार से दूसरे योनिद्वार मे करवाना अर्थात पु. लिंग से स्त्री लिंग ऐसे जीव कि गति होती है। इस तरह मनुष्य जीव की गति मनुष्य योनिमें आ जाती है। लिंग शब्द वास्तविक रूप से संस्कृत भाषा से लीया गया है। और यह बात स्वामी विवेकानंद द्वारा बडे अच्छे से कहीं गई हैं। इस साइट पर जा कर पढ सकते हैं। ब्रह्मचर्य संबंधी भारतीय ज्ञान-परंपरा के सभी दावे सही हैं. उतने ही अकाट्य, जैसे गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत.वेदांत सिखाता है कि शक्ति शरीर में नहीं, आत्मा में है या मन की अवस्था में है. वेदांती मन किस शक्ति की साधना में लीन होता है- शरीर की या आत्मा की? जो आत्मशक्ति या मनोबल की साधना करेगा वह शरीर को शुद्ध रखेगा. सारी योग विधा शरीर शुद्धि और चित्त की शुद्धि के लिए- चित्त वृत्ति के निरोध के लिए है. prabhatkhabar.com - उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक मंजिल न मिले उठो, जागो और तब तक रुको नहीं, जब तक मंजिल न मिले prabhatkhabar.com Translate 19w Add a comment...
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