ऋग्वेदीय श्रौतसूत्र --- आश्वलायन श्रौतसूत्र
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इसमें होता के द्वारा प्रतिपाद्य विषयों का वर्णन है । इसके रचयिता आश्वलायन ऋषि गैंग ।
आश्वलायन को शौनक आचार्य का शिष्य माना जाता है । आश्वलायन गृह्यसूत्र का रचयिता भी आश्वलायन को माना जाता है ।
इस श्रौतसूत्र का सम्बन्ध ऋग्वेद की शाकल और बाष्कल दोनों शाखाओं से है । इसमें १२ अध्याय हैं ।
इसके वर्ण्य विषयों में मुख्य याग ये हैं :--- दर्श-पूर्णमास , अग्न्याधैय, अग्निहोत्र, आग्रयणेष्टि, काम्य इष्टियाँ, चातुर्मास्य , सौत्रामणी, ज्योतिष्टोम , सत्रयाग, एकाह, अहीन याग, गवामयन आदि ।
इसके श्रौतयागों में ये ऋत्विज् होते हैं :--- होता, मैत्रावरुण, अच्छावाक और ग्रावस्तुत ।
इनके कार्यकलाप का इनमें वर्णन है । ब्रह्मा और यजमान के भी कर्त्तव्य निर्दिष्ट हैं । ऋग्वेद के मन्त्र प्रतीक रूप मेम दिए गए हैं । इसमें ऐतरेय ब्राह्मण में निर्दिष्ट कर्मों से सम्बद्ध सामग्री अधिक है ।
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