(पूर्णश्रद्धा, धैर्य और शरणागति निष्काम प्रेम से सर्वश्रेष्ठ ईश्वर प्राप्ती होती हैं।)
(निष्काम कर्म निष्काम भक्ति से ज्ञान की शरणागति ही श्रेष्ठ भक्तिकर्म ज्ञान हैं)
तन,मन और स्त्री को वश में रखना चाहिए
(शस्त्र, शत्रु और अग्नि से संभव कर रहना चाहिए)
*शान्तितुल्यं तपो नास्ति*
*न संतोषात्परं सुखम्*।
*न तृष्णया: परो व्याधिर्न*
*च धर्मो दया परा:*।।
शान्ति के समान कोई तप नही है, संतोष से श्रेष्ठ कोई सुख नही, तृष्णा से बढकर कोई रोग नही और दया से बढकर कोई धर्म नहीं।
*🙏💐सुप्रभातम्💐🙏*
*आपका दिन मंगलमय हो।।*
भज सेवायाम् + क्तिन् + सु= भक्ति:।
कर्तव्य कर्म ही ब्रह्म है।
जिस प्रकार सूर्य-चंद्रादी देव निष्काम भाव से निहीत कर्त्तव्यकर्म कर रहे हैं वह भी बिना प्रश्न के वह भी प्रत्यक्ष ब्रह्म का प्रमाण है। कर्त्तव्यकर्म ही सत-चित-आनन्द/सर्वदा एक सा रहने वाला नित्य/अद्वैत आदि हैं।
*आत्मा का शरीर से,*
*निकल जाना मुक्ति नहीं है,*
बल्कि सांसों के चलते मन से,
इच्छाओं का निकल जाना ही
*मुक्ति एवं मोक्ष है..!!!*
*जिस घर में अंधेरा हो , चोर वहीं सेंध लगाते हैं। यदि घर में निरंतर प्रकाश रहे तो चोर उस घर में घुसने का भी साहस नहीं करते।*
*नाम की ज्योति सर्वदा अपने अन्तः करण में ज्वलंत रखनी होगी, फिर काम, क्रोध,लोभ आदि पाँच चोर हमारे पास नहीं आयेंगे।।*
श्री महाकाल कृपा 🔱🔔*
*जिदंगी मे दो शब्द बहुत खास है:*
-* *प्रेम और ध्यान।*
*क्योंकि ये अस्तित्व के मंदिर के दो विराट दरवाजे हैं।*
*एक का नाम प्रेम, एक का नाम ध्यान।*
*चाहो तो प्रेम से प्रवेश कर जाओ, चाहो तो ध्यान से प्रवेश कर जाओ।*
*शर्त एक ही हैः अहंकार दोनों में छोड़ना होता है।*
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